मै हूं सद्भावना सेनानी

हम सब जानते है कि देश की आजादी के लिए सभी धर्म-जाति के लोगो ने मिलकर संघर्ष किया, कुछ बातें हैं जो आज भी हमारे निजी व सार्वजनिक जीवन के लिए बहुत जरुरी हैं, मैं समझ गया हूं कि वे बातें अच्छी भर नहीं हैं, बल्कि एक अच्छा व मानवीय जीवन जीने के लिए जरुरी भी है। मैं महसूस करता हूं कि अपने प्यारे भारतवर्ष को धार्मिक कट्टरता हिंसा से बचाने तथा इसे और अच्छा बनाने और एकता के लिए हमे अपने जीवन की लक्ष्मण रेखा खींचनी चाहिए जिसका हम कभी, किसी भी परिस्थिति में उल्लंघन नही करेंगे।

मैं आज से जीवनपर्यंत कोशिश करुंगा कि :-मैं किसी भी अन्य धर्म के व्यक्ति से धार्मिक जातिगत आधार पर नफ़रत नहीं करुंगा । बल्कि संविधान में दिए मूल्यों का आदर करुंगा।

  • सच बोलू ,सच का साथ दूं ; झूठों के साथ न रहूं, न उनका समर्थन करुं।
  • मेरे जीवन में कथनी और करनी एक सी हो ।
  • मैं किसी भी तरह की हिंसा का न साथ दूंगा, न समर्थन करुंगा।
  • इंसानों में धर्म-जाति-सम्प्रदाय-भाषा-लिंग क भेद न मानूंगा और ना उसे स्वीकार करुंगा।
  • मैं महिलाओं का उतना ही सम्मान करुंगा और साथ दूंगा जितना मैं अपने लिए चाहता हूं।
  • मैं लोकतंत्र को मजबूत बनाने वालों के साथ रहूंगा ; कमजोर करने वाले से दूर रहूंगा ।

मैं सद्भावना सेनानी बनने और कहलाने में गर्व का अनुभव करता हूं ।